bharat ka bhavishya

देश की जन्म kundli के अनुसार 15.08.1947 को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में था जिसके स्वामी शनि हैं। इसलिए भारत को आजादी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी। वर्तमान समय में सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा 25.06.2013 तक रहेगी। यह समय भारत तथा अन्य देशों के लिए उथल-पुथल का रहेगा। शनि की महादशा भारत के लिए शुभ फलदायी रही। शनि की महादशा में 1947 से 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में दोनों बार भारत को सफलता प्राप्त हुई। उस समय भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री थे। भारत देश की कुंडली  का वृष लग्न है और योगकारक ग्रह शनि नवम्, दशम का स्वामी होकर तृतीय (पराक्रम भाव) में विराजमान है। 1962 फरवरी में चीन देश ने भारत पर आक्रमण किया तथा उसमें भारत की पराजय हुई। उस समय शनि की महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही थी। भारत की कुंडली  में राहु लग्न तथा केतु सप्तम भाव में कालसर्प दोष से ग्रसित होकर बैठे हुए हैं। युद्ध के समय गोचर की स्थिति के अनुसार 04.02.1962 तक मकर राशि में आठ ग्रह राशि से सप्तम भाव में बैठकर जन्म राशि को पूर्ण दृष्टि से देख रहे थे। इसी कारण भारत की पराजय हुई। बुध की महादशा 06.09.1965 से 07.09.1982 तक रही इस अवधि में बुध की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा जनवरी 1969 से दिसंबर 1971 तक रही। उस समय भारत और पाकिस्तान के परस्पर युद्ध में भारत को फिर से विजय प्राप्त हुई तथा पाकिस्तान का विभाजन होकर बांग्ला देश का जन्म हुआ। उस समय भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी थीं। 

भारत का जन्म लग्न वृषभ है। इस समय गोचर ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है- लग्न का स्वामी शुक्र नीचाभीलाषी होकर राहु व बुध के साथ चतुर्थ भाव में है। 


इन स्थितियों में जनता में जातिवाद की भावना का प्रबल होती है, नारी जाति पर अपमानजनक टीका-टिप्पणी बढ़ती है, जन-धन के साथ आर्थिक नुकसान भी होता है।

15 अगस्त से पहले 12 अगस्त 2016 तक राहु-गुरु का साथ में होना तथा  जनता भाव से गोचरीय भ्रमण देश में विवादों का कारण बना।

15 अगस्त से पहले चतुर्थेश सूर्य एक घर पीछे है, जो राजनीतिक क्षय, जनता के मध्य उपद्रव का कारण बनता है।

शनि-मंगल की युति सप्तम भाव से चल रही है, जो स्त्री पक्ष के लिए ठीक नहीं होती। अष्टम भाव मारक है अत: अकाल मृत्यु का कारण बनता है।
मंगल सप्तम व द्वादशेश भाव का स्वामी है, इसी वजह से बाहरी व्यक्तियों से काफी क्षति भारत को पहुंची है, आतंकवाद से भारतीय सेना को दो-चार होना पड़ा है। भारतीय सेना के जांबाज शहीद हुए हैं। अभी भी जम्मू-कश्मीर के हालात ठीक नहीं हैं।

शनि राज्यभाव व कर्मभाव के साथ-साथ भाग्य का स्वामी भी है, इस वजह से राज्यों में उपद्रव व अकारण राजनीतिक द्वेष  बढा है। सत्तापक्ष की सरकारें नहीं बन पाईं।

शनि कर्मभाव का स्वामी होने के कारण रोजगार की स्थिति में भी सुधार नहीं आया, न ही महंगाई पर नियंत्रण रहा। लेकिन 70वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत की कुंडली कहती है कि 2016 के अंत तक भारत के सितारे जगमगाएंगे।

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