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भगवान शिव एवं माँ पारवती के प्रिय पुत्र विघनहारक भगवान गणेश जी आठ मुखी रुद्राक्ष के प्रधानदेवता माने गए हैं | आठ मुखी रुद्राक्ष भैरोदेव का स्वरुप माना गया है |
यह रुद्राक्ष के धारण करने से उच्च पद की प्राप्ति व् मन की एकाग्रता में सुधार होता है | यह रुद्राक्ष ऋद्धि सिद्धि दायक है | जीवन में जितनी भी मुश्किलें और विघन होते हैं उनको दूर करने में आठ मुखी रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है | जिस प्रकार शास्त्र अनुसार सर्वप्रथम श्री गणेश भगवान की पूजा की जाती है उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी निसंकोच व् बिना किसी जानकारी के भी धारण कर लेना चाहिए क्योंकि महाशिवपुराण के अनुसार आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है | जो व्यापारी किसी भी प्रकार से नापतोल में बईमानी करते हैं शास्त्रानुसार वह व्यापारी पाप के भागी बनते हैं और जो व्यक्ति अपने जीवन में पर इस्त्री के संपर्क में रहते हैं वह भी पाप के भागी होते हैं | ग्रंथों के अनुसार एैसे पापियों को भी आठ मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से पाप मुक्त होने में सहायता मिलती है | एैसा माना गया है की यह दोनों रुद्राक्षों को धारण करने वाले जातक को मृत्योपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है |
इसको धारण करने का मंत्र भी “ॐ हूँ नमः” है | जैसा की सात मुखी के विवरण में हमने लिखा है कि आठ मुखी के साथ धारण करना चाहिए उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी सात मुखी के साथ धारण करना चाहिए क्योंकि माँ लक्ष्मी और गणेश भगवान जी की पूजा साथ में करने का विधान है |