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छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा व्यक्ति आंतरिक सुषुप्त शक्तियाँ जागृत होती है। इसे धारण करने से ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। काम, क्रोध , लोभ, अंहकार जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रहता है। दांपत्य जीवन में प्रेम की कमी, तलाक से बचने, प्रेम विवाह में सफल होने, संगीत कला में माहिर होने आदि के लिए यह रुद्राक्ष बेहद अहम माना गया है। छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है | बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो-पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए | षष्ठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से चर्मरोग, हृदय रोग तथा नेत्ररोग दूर होते हैं. यह हिस्टीरिया और स्त्रियों से संबंधित रोग दूर करने में उत्तम होता है. आंखें, प्रजनन अंगों, प्रोस्टेट, मुंह और गले के रोगों से मुक्ति दिलाता है. छह मुखी रुद्राक्ष रक्तचाप, दिमागी परेशानी आदि बीमारियों में लाभकारी है. षष्ठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करते समय “ऊँ ह्रीं हुं नम:” (Om Hreem Hum Namah) मंत्र का लगातार उच्चारण करते रहें।