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भाग्यवृद्धि, सुख-सौभाग्य, विकास-उन्नति, समृद्धि, पुत्र कामना, विवाह एवं आध्यात्मिक समृद्धि हेतु पुखराज धारण करना चाहिए। गुरु ग्रह जीवनदाता है। यह वसा एवं ग्रंथियों से संबंध रखता है। अतः यह गला रोग, सीने का दर्द, श्वास रोग, वायु विकार, टीबी, हृदय रोग में धारण करने से लाभप्रद होता है।
6/11/15 रत्ती का धारण न करें। पुखराज निर्दोष होना चाहिए। शुद्ध सोने में मढ़वा कर तर्जनी, बृहस्पति की उँगली में धारण करें। गुरु-पुष्य, रवि-हस्त को अँगूठी को दूध, शुद्ध जल या गंगा जल से प्रक्षालन करें एवं पूजा करें। 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः' या 'ॐ ज्ञां ज्ञीं ज्ञूं सः जीवाय नमः'मंत्र की 5 माला फेरकर पूर्वान्ह 11 बजे के पूर्व धारण करना चाहिए।