नरक चतुर्दशी: शुभ मुहूर्त में करें स्नान-दीपदान, मिलेंगे महालाभ

बुधवार दिनांक 18.10.2017 को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के उपलक्ष्य में छोटी दीपावली, नरक चतुर्दशी व रूप चौदस का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व नरक चौदस, नरक चतुर्दशी और नरक पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यतानुसार इस दिन जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व अभ्यंग-स्नान अर्थात तिल का तेल लगाकर अपामार्ग अर्थात चिचड़ी की पत्तियां जल में डालकर स्नान करता है, उसे यमराज की कृपा वश नरक गमन से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति के सारे पाप नष्ट होते हैं। इस दिन से पाप व नरक से मुक्ति हेतु व्रत भी प्रचलित है। प्रातः काल अभ्यंग-स्नान के बाद राधा-कृष्ण के मंदिर में दर्शन करने से पाप नाश होता है और सौन्दर्य व रूप की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषीय संदर्भ: बुधवार दी॰ 18.10.17 को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर्व पर सूर्योदय से पूर्व अभ्यंग-स्नान करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। अभ्यंग-स्नान के लिए शास्त्रों ने ब्रह्म मुहूर्त का समय निर्देशित किया है। चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है। अभ्यंग स्नान के लिए मुहूर्त का समय चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए चंद्रोदय व सूर्योदय के मध्य रहना चाहिए। इसी के तहत अभ्यंग स्नान मुहूर्त बुधवार दी॰ 18.10.17 को सुर्यौदय से पूर्व और चंद्रमा के उदय रहते हुए प्रातः 04:47 से प्रातः 06:27 तक रहेगा। इसकी अवधि 1 घंटे 40 मिनट रहेगी। 


यम दीपदान का पूजन मुहूर्त शाम 18:00 से शाम 19:00 बजे तक रहेगा। श्रीकृष्ण पूजन हेतु संध्या मुहूर्त शाम 19:15 से रात 21:10 तक रहेगा। यम दीपदान केतू 4 बत्ती वाला मिट्टी का दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखें। 


विशेष यमराज मंत्र: यं यमराजाय नमः॥


पारिवारिक रोग मुक्ति हेतु सभी परिजनो के सिर से 4 काली मिर्च के दाने वारकर कपूर से जला दें। 


खूबसूरत व जवान बने रहने के लिए श्रीकृष्ण पर चढ़ा हल्दी-चंदन का लेप शरीर पर लगाएं।

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