जब कुण्डली में मंगल स्वराशि( मेष, वृ्श्चिक) अथवा मंगल अपनी उच्च राशि (मकर राशि ) में होकर केन्द्र में हो तो रुचक योग बनता है। जिसके जन्म कुण्डली में रुचक योग बन रहा हो, वह व्यक्ति दीर्घायु वाला होता है। उसकी त्वचा साफ और सुन्दर होती है। शरीर में रक्त की मात्रा अधिक होती है। वह बली और साहसी होता है। इसके साथ ही उसे सिद्धियां प्राप्त करने में विशेष रुचि हो सकती है। इस योग से युक्त व्यक्ति सुन्दर, भृ्कुटी, घने केश, हाथ-पैर सुडौल, मंत्रज्ञ, रक्तश्याम वर्ण, बडा शूर, शत्रुजित, शंख समान कण्ठ, बडा पराक्रमी, दुष्ट, ब्राह्माण, गुरु के सामने विनयशील, जनता से प्रेम करने वाला होता है। व्यक्ति में इन सभी गुणों के साथ साथ यह योग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति देता है। इस योग से युक्त व्यकि अपने शत्रुओं को परास्त करनें में कुशल होता है।
रुचक योग को प्रभावी बनाने के उपायः- यदि रुचक योग कुंडली में हो और प्रभावी ना हो रहा हो तो इस योग को प्रभावी बनाने के लिए मंगल से सम्बंधित दान जैसे तांबा, लाल वस्त्र, गुड, गेहू, माचिस, लाल गौ का दान करना, मंगल का व्रत करना और मंगल के बीज मंत्र " ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: " का नियमित जाप करते रहना तत्काल लाभ देता है।